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Pachpan Khambhe Lal Deewaren
Author: Usha Priyamvada

Publisher: Rajkamal Prakashan
ISBN: 9788126716630
Pages: 155
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पचपन खंभे लाल दीवारें उषा प्रियम्वदा ‘पचपन खंभे लाल दीवारें’ एक ऐसा उपन्यास है जिसमें आधुनिक नारी-जीवन की घुटन, ऊब, संत्रास और अकेलेपन की छटपटाहट से उबरने की आकुलता-व्याकुलता को गहरे स्तर पर पहचाना और व्यक्त किया गया है। इस उपन्यास में आधुनिकता का प्रबल स्वर है तो वहीं सामाजिक-आर्थिक विषमताओं के बीच जी रही एक भारतीय नारी की मानसिक यंत्रणाओं का जीवन्त किन्तु मार्मिक चित्रण हुआ है। उषा प्रियम्वदा की विशेषता यह है कि उनकी रचनाओं में एक ओर जहाँ आधुनिकता का प्रबल स्वर मिलता है तो दूसरी ओर उनमें चित्रित प्रसंगों तथा संवेदनाओं के साथ हर वर्ग का पाठक तादात्मय का अनुभव करता है; यहाँ तक कि पुराने संस्कारवाले पाठकों को भी किसी तरह के अटपटेपन का एहसास नहीं होता। इस उपन्यास में पचपन खंभे और लाल दीवारें उन स्थितियों के प्रतीक हैं जिनमें रहकर उपन्यास की नायिका सुषमा को ऊब और घुटन का तीखा एहसास होता है...लेकिन वह उससे मुक्त नहीं हो पाती। उन स्थितियों में जीना ही उसकी नियति बन जाती है। उपन्यास में यह तथ्य दिलचस्प किन्तु द्रावक ढंग से उभरकर आया है कि आधुनिक जीवन की विडम्बना यही है कि जो हम नहीं चाहते वही करने को विवश होते हैं।
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